- तृप्ति डिमरी और शाहिद कपूर पहली बार करेंगे स्क्रीन शेयर - विशाल भारद्वाज करेंगे फिल्म का निर्देशन
- बॉलीवुड की अभिनेत्रियाँ जिन्होंने सर्दियों के स्टाइल में कमाल कर दिया है
- Akshay Kumar Emerges as the 'Most Visible Celebrity' as Celebrity-Endorsed Ads Witness a 10% Rise in H1 2024
- Madhuri Dixit's versatile performance in 'Bhool Bhulaiyaa 3' proves she is the queen of Bollywood
- PC Jeweller Ltd.Sets December 16 as Record Date as 1:10 Stock Split
इनटाईस इंस्टिट्यूट का कनवोकेशन समारोह
इमरजेंसी मेडीकल सुविधा न मिलने से हर साल रोड
एक्सीडेंट मे मर जाते है ढाई लाख लोग
इंदौर 15 अप्रैल। इमरजेंसी मेडिकल सर्विस के लिए ट्रेनिंग देने वाले सेन्ट्रल इंडिया के एक मात्र इंस्टीट्यूट इनटाईस का कनवोकेशन समारोह आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में नर्सिंग और आयुष के उन 44 डॉक्टरों को पीजी डिप्लोमा प्रदान किए गए जिन्होंने साल भर तक इमरजेंसी मेडिकल सर्विस की ट्रेनिंग ली है ।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि गोकुलदास हॉस्पिटल के डायरेक्टर संजय गोकुलदास, लाईफ सपोर्टर इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ साइंस मुंबई के डायरेक्टर श्री अजय देसाई, विषेष अतिथी गुजराती होम्योपैथिक कॉलेज के प्राचार्य डॉ.एस पी सिंह थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. सुबोध चर्तुवेदी ने की। इस कार्यक्रम के दौरान इमरजेंसी मेडिकल सर्विसेस ट्रेनिंग लेने वाले सभी छात्रों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए । कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि श्री अजय देसाई ने कहा कि जब वे ट्रेन यात्रा करते थे तो खुद अपने नाम के आगे डॉक्टर नहीं लगाते क्योंकि ट्रेन में इमरजेंसी होने पर वो के केस को संभालने के लिए ट्रेंड नहीं थे। लेकिन बाद में उन्होंने इमरजेंसी मेडिकल सर्विस की ट्रेनिंग ली । उन्होंने कहा कि यह ट्रेनिंग सभी डॉक्टरों के लिए भी अत्यंत जरूरी है।
डॉ. सुबोध चर्तुवेदी ने कहा कि ब्रेन हेमरेज और हार्ट अटैक के मरीजों के लिए शुरुआती घंटे काफी महत्वपूर्ण होते हैं सही समय पर इमरजेंसी मेडिकल सुविधा ना मिल पाने पर मरीज की जान तक चली जाती है ऐसा ही एक्सीडेंट के केस में होता है इसमें खून ज्यादा बहने से मरीज की जान चली जाती है खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों को शहर तक में लाने में जान का खतरा बना रहता है । सरकारी आकंडो के मुताबिक हार्ट के 50 प्रतिषत मरीजों को समय पर मेडिकल सुविधा नही मिल पाती है। ऐसे में ट्रेंड इमरजेंसी मेडिकल स्टाफ काफी जरूरी हो जाता है। जो मरीज को स्टेबल कंडीशन में अस्पताल तक पहुंचा दें। अकेले एक्सीडेंट के केस में ही हर साल ढाई लाख से ज्यादा मरीज अपनी जान सिर्फ इसलिए गवा देते हैं क्योंकि उन्हें शुरूआती घंटों में सही इमरजेंसी मेडिकल सुविधा नहीं मिल पाती है। इसी तरह ब्रेन हेमरेज के मरीजों के लिए भी शुरुआती घंटे काफी महत्वपूर्ण है। समय पर ईलाज न मिलने पर 25 प्रतिषत मरीजो की मौत हो जाती है। ये भारत में मौत का चौथा सबसे बडा कारण है। सही समय पर इमरजेंसी मेडिकल सुविधा मिलने से ब्रेन हेमरेज के मरीज पैरालिसिस के बीमारी से बच सकते हैं। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉक्टर संजय गोकुलदास ने कहा कि जब हम स्पेशलिटी की ओर चले जाते हैं तो इमरजेंसी से दूर हो जाते हैं जबकि इमरजेंसी सर्विसेज भी काफी जरूरी होती है । गुजराती होम्योपैथिक कॉलेज के प्राचार्य डॉ.एस पी सिंह ने कहा कि हौम्योपैथी हो या एलोपैथी अगर हम नाम के आगे डॉक्टर लगाते है तो हमे इमरजेंसी हेंडल करना आना चाहिए । इस तरह के कोर्स सभी के लिए जरुरी है।